यूपी बोर्ड कक्षा 12 हिंदी प्रोफेसर जी सुंदर रेड्डी का जीवन परिचय जीवन-परिचय - यूपी बोर्ड कक्षा 12 हिंदी प्रोफेसर जी सुंदर रेड्डी का साहित्यिक परिचय

यूपी बोर्ड कक्षा 12 हिंदी प्रोफेसर जी सुंदर रेड्डी का जीवन परिचय जीवन-परिचय – यूपी बोर्ड कक्षा 12 हिंदी प्रोफेसर जी सुंदर रेड्डी का साहित्यिक परिचय

यूपी बोर्ड कक्षा 12 हिंदी प्रोफेसर जी सुंदर रेड्डी का जीवन परिचय जीवन-परिचय – यूपी बोर्ड कक्षा 12 हिंदी प्रोफेसर जी सुंदर रेड्डी का साहित्यिक परिचय

यूपी बोर्ड कक्षा 12 हिंदी प्रोफेसर जी सुंदर रेड्डी का जीवन परिचय जीवन-परिचय - यूपी बोर्ड कक्षा 12 हिंदी प्रोफेसर जी सुंदर रेड्डी का साहित्यिक परिचय

इस पोस्ट में मैंने यूपी बोर्ड कक्षा 12वीं हिंदी का महत्वपूर्ण जीवन परिचय को बताया है जो कि हिंदी के प्रोफेसर जी सुंदर रेड्डी का जीवन परिचय तथा प्रोफेसर जी सुंदर रेड्डी का साहित्यिक परिचय के बारे में है यदि यह जीवन परिचय तैयार कर लेते हैं तो आपकी यूपी बोर्ड कक्षा 12वीं हिंदी के पेपर में 5 अंकों का जीवन परिचय बिल्कुल पक्का हो जाएगा |

प्रोफेसर जी सुंदर रेड्डी का जीवन परिचय

श्री जी. सुन्दर रेड्डी का जन्म वर्ष 1919 में आन्ध्र प्रदेश में हुआ था। इनकी आरम्भिक शिक्षा संस्कृत एवं तेलुगू भाषा में हुई व उच्च शिक्षा हिन्दी में। श्रेष्ठ विचारक, समालोचक एवं उत्कृष्ट निबन्धकार प्रो. जी. सुन्दर रेड्डी लगभग 30 वर्षों तक आन्ध्र विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रहे। इन्होंने हिन्दी और तेलुगू साहित्य के तुलनात्मक अध्ययन पर पर्याप्त काम किया। 30 मार्च, 2005 में इनका स्वर्गवास हो गया।

प्रोफेसर जी सुंदर रेड्डी का साहित्यिक परिचय –

श्रेष्ठ विचारक, सजग समालोचक, सशक्त निबन्धकार, हिन्दी और दक्षिण की भाषाओं में मैत्री भाव के लिए प्रयत्नशील, मानवतावादी दृष्टिकोण के पक्षपाती प्रोफेसर जी. सुन्दर रेड्डी का व्यक्तित्व और कृतित्व अत्यन्त प्रभावशाली है। ये हिन्दी के प्रकाण्ड पण्डित हैं। आन्ध्र विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर अध्ययन एवं अनुसन्धान विभाग में हिन्दी और तेलुगू साहित्यों के विविध प्रश्नों पर इन्होंने तुलनात्मक अध्ययन और शोधकार्य किया है। अहिन्दी भाषी प्रदेश के निवासी होते हुए भी प्रोफेसर रेड्डी का हिन्दी भाषा पर अच्छा अधिकार है। इन्होंने दक्षिण भारत में हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

प्रोफेसर जी सुंदर रेड्डी की प्रमुख कृतियाँ

प्रो. रेड्डी के अब तक आठ ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं। इनकी जिन रचनाओं से साहित्य-संसार परिचित है, उनके नाम इस प्रकार हैं-

  1. साहित्य और समाज
  2. मेरे विचार
  3. हिन्दी और तेलुगू एक तुलनात्मक अध्ययन
  4. दक्षिण की भाषाएँ और उनका साहित्य
  5. वैचारिकी
  6. शोध और बोध
  7. वेलुगु वारुल (तेलुगू)
  8. लैंग्वेज प्रॉब्लम इन इण्डिया’ (सम्पादित अंग्रेजी ग्रन्थ)
  • इनके अतिरिक्त हिन्दी, तेलुगू तथा अंग्रेजी पत्र-पत्रिकाओं में इनके अनेक निबन्ध प्रकाशित हुए हैं। इनके प्रत्येक निबन्ध में इनका मानवतावादी दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है।

प्रोफेसर जी सुंदर रेड्डी की भाषा-शैली –

प्रो. जी. सुन्दर रेड्डी की भाषा शुद्ध, परिष्कृत, परिमार्जित तथा साहित्यिक खड़ी बोली है, जिसमें सरलता, स्पष्टता और सहजता का गुण विद्यमान है। इन्होंने संस्कृत के तत्सम शब्दों के साथ, उर्दू, फारसी तथा अंग्रेजी भाषा के शब्दों का भी प्रयोग किया है। इन्होंने अपनी भाषा को प्रभावशाली बनाने के लिए मुहावरों तथा लोकोक्तियों का प्रयोग भी किया है। इन्होंने प्रायः विचारात्मक, समीक्षात्मक, सूत्रात्मक, प्रश्नात्मक आदि शैलियों का प्रयोग अपने साहित्य में किया है।

प्रोफेसर जी सुंदर रेड्डी का हिन्दी साहित्य में स्थान –

प्रोफेसर जी सुंदर रेड्डी हिंदी साहित्य जगत के उच्च कोटि के विचारक सम आलोचक एवं निबंधकार हैं इनकी रचनाओं में विचारों की परिपक्वता स्पष्ट दिखाई देती है |