Up Board Class 11 Biology Chapter 1 Hand Written Notes - NCERT Class 11 Biology Chapter 1 in Hindi - कक्षा 11 जीव विज्ञान जीव जगत नोट्स - Part 2

Up Board Class 11 Biology Chapter 1 Hand Written Notes – NCERT Class 11 Biology Chapter 1 in Hindi – कक्षा 11 जीव विज्ञान जीव जगत नोट्स – Part 2

Up Board Class 11 Biology Chapter 1 Hand Written Notes – NCERT Class 11 Biology Chapter 1 in Hindi – कक्षा 11 जीव विज्ञान जीव जगत नोट्स – Part 2

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जीवों में विविधता की संकल्पना –

जैव-विविधता शब्द का अर्थ पृथ्वी पर पाए जाने वाले विभिन्न जीवों की विविधता से हैं। अब तक ज्ञात तथा वर्णित जातियों की संख्या लगभग 1.7 से 1.8 मिलियन तक है तथा बहुत सी जातियाँ अभी खोजी नही जा सकी हैं।

विश्व में पाई जाने वाली जातियों में 70 प्रतिशत से अधिक ज्ञात जातियों जंतुओं की हैं जबकि पौधों की लगभग 22% जातियाँ ज्ञात की जा सकी है। जंतुओं में कुल जाती का लगभग 70% कीट-पतंगों का है। भारत विश्व के 12 मेगा विविधता वाले क्षेत्रों में से एक है। भारत में लगभग 45000 पौधों की जातियाँ हैं जबकि जंतुओं की संख्या इनकी दुगनी है।

वर्गीकरण की आवश्यकता –

विश्व में 1.7-1.8 मिलियन जातियाँ हैं तथा प्रत्येक जाति के लाखों जीव हैं। अतः प्रत्येक जीव का पृथक अध्ययन करना संभव नही है, इसलिए ऐसी युक्ति बनाने की आवश्यकता है जो सभी जीवों का अध्ययन संभव कर सके। इस प्रक्रिया को वर्गीकरण कहते हैं।

वर्गीकरण –

वह प्रक्रिया है जिसमें कुछ आसान दृश्य गुणों के आधार पर जीवों को सुविधाजनक वर्गों में वर्गीकृत किया जा सके। उदाहरण के लिए हम पौधों अथवा प्राणियों और कुत्ता, बिल्ली अथवा कीट को सरलता से पहचान लेते हैं। जैसे ही हम इन शब्दों का उपयोग करते हैं, उसी समय हमारे मस्तिष्क में इन जीवों के कुछ ऐसे गुण आ जाते हैं जिससे उनका उस वर्ग से सम्बन्ध होता है। यदि हमें ‘स्तनधारी’ कहना है तो आप ऐसे जंतु के विषय में सोचोगे जिसके बाह्य कान और शरीर पर बाल होते हैं। इसी प्रकार यदि हम गन्ना के विषय में चर्चा करें तो हमारे मस्तिष्क में गन्ना का पौधा आ जाता है। इसलिए ये सभी ‘स्तनधारी’, ‘बिल्ली’, ‘कुत्ता’, ‘गन्ना’, ‘चावल’, ‘पौधे’, ‘जंतु’ आदि सुविधाजनक वर्ग हैंजिनका उपयोग हम पढने में करते हैं। इन वर्गों की वैज्ञानिक शब्दावली टेक्सा (Taxa) है|
टेक्सा विभिन्न स्तर पर सभी वर्गों को बता सकता है। ‘पौधे’ भी एक टेक्सा है। ‘गन्ना’ भी एक टेक्सा है। इसी प्रकार ‘जंतु’, ‘स्तनधारी’, ‘कुत्ता’, ‘बिल्ली’ ये सभी टेक्सा है लेकिन कुत्ता एक स्तनधारी प्राणी है। इसलिए प्राणी, स्तनधारी तथा कुत्ता विभिन्न स्तरों पर टेक्सा को बताता है।

गुणों के आधार पर हम सभी जीवों को विभिन्न टैक्सा में वर्गीकृत कर सकते हैं। गुण जैसे बाह्य एवं आन्तरिक संरचना, कोशिका की • संरचना विकाशीय प्रक्रम तथा जीव की पारिस्थितिक सूचनाएँ आवश्यक हैं और ये आधुनिक वर्गीकरण अध्ययन के आधार हैं। इसलिए •विशेषीकरण (characterisation), पहचान (Identification), वर्गीकरण (classification) तथा नाम पध्दति ( nomenclature) आदि

वर्गीकरण विज्ञान –

ऐसे प्रक्रम है जो वर्गिकी या वर्गीकरण विज्ञान (taxonomy) के आधार है। जीवन के तीन डोमेन (three domains of life)- कार्ल वूज ने पृथ्वी पर उपस्थित विविध प्रकार के जीवों को तीन डोमेन में बांटा | डोमेन जगत (kingdom) से बड़ा टैक्सोन है।

1. डोमेन बैक्टीरिया (domain bacteria)- इसके अंतर्गत सभी प्रोकैरियोटिक जीवाणुओं को रखा गया है।

2. डोमेन आर्चिया (domain archaea)- इसके अंतर्गत आर्कीबैक्टीरिया को रखा गया है।

3. डोमेन यूकैरिया (domain eukarya)- इसके अंतर्गत प्रोटिस्टा, पादप जगत, जंतु जगत व कवक जगत के जीवों को रखा गया है।

वर्गिकी एवं वर्गीकरण विज्ञान (taxonomy and systematics)-

वर्गिकी (taxonomy) का अर्थ है वर्गीकरण में प्रयोग किया जाने वाले • सिध्दांतों एवं विधियों का अध्ययन | दूसरे शब्दों में, जीवों की पहचान, नामकरण और वर्गीकरण को टैक्सोनोमी कहा जाता है। “Taxonomy aims at Identifying, naming and classifying organisms.”

सिस्टेमेटिक्स (Systematics) के अंतर्गत जीवों के प्रकार तथा उनकी विविधता का अध्ययन किया जाता है तथा उनके बीच में पा जाने वाले सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। “systematics deals with the scientific study of the kinds and diversity of organisms and of any relationship among them.”

“सिस्टेमेटिक्स’ शब्द लैटिन शब्द ‘सिस्टेमा’ से आया है जिसका अर्थ है जीवों की नियमित व्यवस्था | सिस्टेमेटिक्स शब्द लिनियस ने दिया था। उन्होंने अपनी किताब का टाइटल ‘सिस्टेमा नेचर’ चुना।

वर्गीकरण की मौलिक सिध्दान्त

पहचान (Identification) – पहचान में हम पहले से निर्धारित वर्गीकरण पध्दति में सजीव का उचित स्थान निश्चित करते हैं। जीवों का नामकरण तभी संभव है जब हम उस जीव के लाक्षणिक गुणों (distinguishing character) का सही वर्णन करें तभी हम उसे सही रूप में वर्गीकृत कर सकते हैं। वर्गीकरण में हम पूर्व में पहचाने हुए जीव की समानता को आधार बनाते हैं, जैसे यदि हम एक फूल सहित पौधे की टहनी का नाम जानना चाहें, तब यह क्रिया पहचान की होगी, वर्गीकरण की नहीं।

नामकरण ( nomenclature) – पौधों का नामकरण वानस्पतिक नामकरण की अंतर्राष्ट्रीय नियमावली ICBN अर्थात International code of Botanical Nomenclature के आधार पर किया जाता है। जंतुओं का नामकरण जंतु नामकरण की अंतर्राष्ट्रीय नियमावली ICZN

  • अर्थात International Code of Zoological Nomenclature के आधार पर किया जाता है।

 

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