Class 11th Biology Chapter 1 in Hindi - कक्षा 11 जीव विज्ञान जीव जगत नोट्स - Part 3

Up Board Class 11 Biology Chapter 1 Hand Written Notes – NCERT Class 11th Biology Chapter 1 in Hindi – कक्षा 11 जीव विज्ञान जीव जगत नोट्स – Part 3

Class 11th Biology Chapter 1 in Hindi – कक्षा 11 जीव विज्ञान जीव जगत नोट्स – Part 3

Class 11th Biology Chapter 1 in Hindi - कक्षा 11 जीव विज्ञान जीव जगत नोट्स - Part 3

 

व्दिनाम नामकरण पध्दति ( Binomial Nomenclature) –

व्दिनाम नामकरण पध्दति सर्वप्रथम उपयोग स्वीडेन के वनस्पतिविज्ञानी कैरोलस लीनियस ने किया |

किसी भी पौधे का वैज्ञानिक नाम दो शब्दों से मिलकर बना होता है। उदाहरण के लिए आलू का वानस्पतिक नाम है सोलैनम ट्यूबरोसम (Solanum tuberosum)| इसमें पहला शब्द सोलेनम है। इसे जेनेरिक इपीथेट (generic epithet) कहते हैं। और दूसरा शब्द ट्यूबरोसम है। इसे स्पेशीफिक इपीथेट (specific epithet) कहा जाता है। आलू का वानस्पतिक नाम में सोलेनम वंश (genus) तथा ट्यूबरोसम जाति (species) को निरूपित करता है।

व्दिनाम पध्दति के नियम

 

  1. जैविक नाम प्रायः लैटिन भाषा में होते हैं और तिरछे अक्षरों में लिखे जाते हैं।
  2. जैविक नाम में पहला शब्द वंश का नाम (genus) होता है जबकि दूसरा शब्द जाति (species) का नाम होता है।
  3. वैज्ञानिक नाम को जब टाइप किया जाता है तो इटैलिक (italic) में लिखा जाता है और यदि हाथ से लिखते हैं तो दोनों शब्दों को अलग-अलग रेखांकित करते हैं।
  4. पहला नाम (generic name) एक संज्ञा (noun) होता है, जबकि दूसरा नाम (species) एक विशेषण (adjective) से बना होता है।
  5. पहला अक्षर जो वंश नाम को बताता है, बड़े अक्षर (capital letter) से शुरू होना चाहिए जबकि जाति संकेत पद में छोटा अक्षर (small letter) होना चाहिए। मैंजीफेरा इंडिका (Mangifera indica) के उदाहरण से हम इसकी व्याख्या कर सकते हैं।
  6. किसी भी पौधे का वानस्पतिक नाम अधूरा है यदि उसके जाति के बाद उस व्यक्ति का नाम न हो जिसने सबसे पहले उस जाति की खोज की| उदाहरण के लिए करेले का वानस्पतिक नाम है मोमाडिका चरेंसिया (Momordica charantia) | इस जाति का नाम अधूरा है यदि इसके साथ लिन (Linn.) नहीं लगाया जाए| अतः करेले को इस प्रकार लिखा जाएगा मोमाडिका चरेंसिया लिन (Momordica charantia Linn.)| यहाँ लिन (Linn.) का अभिप्राय लीनियस (Linnaeus) से है जिन्होंने सर्वप्रथम इस पौधे का विवरण प्रकाशित किया था|

त्रि-पद नाम

त्रिपद-नाम पध्दति कुछ जाति को छोटी इकाइयों जैसे वेराइटी (variety) या उपजाति (sub-species) में विभक्त किया जाता है। वेराइटी का नाम स्पेशिफिक इपियेट (specific epithet) के बाद में लिखा जाता है। इस प्रकार नाम तीन शब्दों का हो जाता है, जैसे होमो सेपियंस सेपियंस (Homo sapiens sapiens)| इसे त्रि-पद नाम पध्दति कहा जाता है।

वर्गीकरण (classification) –

जीवों की विविधता को समझने के लिए जीवविज्ञानी जीवों का उनके सम्बन्धों के आधार पर वर्गीकरण करते हैं| यदि जीवों को विभिन्न श्रेणियों में नहीं बाँटा जाए तो उनका अध्ययन करना मुश्किल हो जाएगा | श्रेणीबध्द करने की क्रिया को वर्गीकरण कहा जाता है।

“classification is the grouping of organisms into categories according to a systematic plan or order”

पौधों तथा जंतुओं को विभिन्न श्रेणियों में बाँटा गया है, जैसे संघ (phylum) (पौधों में फाइलम के स्थान पर डिवीज़न कहा जाता है), वर्ग (class), गण ( order), कुल (family), वंश (genus) तथा जाति (species) |

टैक्सान की अवधारणा टैक्सान या टैक्सोनोमिक यूनिट का प्रयोग वर्ग में शामिल वास्तविक जैविक जीव के लिए किया जाता है। जैसे सभी घासों को फैमिली पोऐसी (Poacaea) में रखा गया है। इसे टैक्सान पोऐसी भी कहते हैं।

टैक्सोनोमिक कोटि (taxonomic categories) सभी वर्गीकरण में मूल इकाइयों का क्रमबध्द या पदानुक्रम सोपान (steps) होता है जिसमें प्रत्येक सोपान पद ( rank) या वर्ग ( category) को प्रदर्शित करता है। इसे टैक्सोनोमिक कोटि (taxonomic category) कहा जाता है। सभी कोटियाँ एक साथ मिलकर टैक्सोनोमिक पदानुक्रम (taxonomic hierarchy) बनाती है। प्रत्येक कोटि जिसे वर्गीकरण की मूल इकाई कहा जाता है, एक टैक्सान को चिन्हित करती है।

जातियों की संकल्पना (concept of species) वर्गीकरण की मूल इकाई जाति ( species) हैं। जाति ऐसे जीवों का एक समूह है जो एक-दूसरे के समान होते हैं, क्योंकि वे मुक्त रूप से प्रकृति में अन्तर प्रजनन (Interbreed) करते हैं। (जाति का सही अर्थ- जब नर का शुक्राणु उस जाति के मादा के अंडाणु को निषेचित कर सकें, तो कहा जाता है कि एक ही जाति के हैं, परन्तु यदि किसी नर का शुक्राणु मादा के अण्डाणु से निषेचित नही होता है तो वह नर और मादा अलग अलग जाति के माने जाते हैं, जैसे नर मनुष्य का शुक्राणु सिर्फ मादा मनुष्य के अण्डाणु को ही निषेचित करता है अन्य किसी जंतु जैसे कुत्ता, बिल्ली, भेड़ आदि की मादा के अण्डाणु को निषेचित नही कर सकता )

वर्गिकीय क्रमबध्दता (taxonomic hierarchy) –

वर्गीकरण एकल सोपान प्रक्रम नहीं है बल्कि इसमें पदानुक्रम सोपान (hierarchy of steps) होते हैं जिसमें प्रत्येक सोपान पद अथवा वर्ग ( rank or category) को प्रदर्शित करता है। पदानुक्रम का मतलब होता है वस्तुओं के समूह को एक-दूसरे पर रखना। उदाहरण के लिए जाति (species), वंश (genus), कुल ( family), गण ( order), वर्ग (class), वंश (phylum) (पौधों में phylum शब्द का प्रयोग नही किया जाता है phylum के स्थान पर division शब्द का प्रयोग होता है), जगत (kingdom) |

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